घर-घर तिरंगा का अमृत महोत्सव

भारत सरकार का घर – घर तिरंगा अभियान एक सुन्दर प्रयोग है। यह राष्ट्रीय ध्वज देश के लिये तो गौरव का प्रतीक है ही, दुनिया के लिये यह हमारी पहचान और शान भी है। तिरंगा या राष्ट्रीय ध्वज को देश के हर घर में पहुंचने के पीछे का कारण यह है कि हमारे देश का प्रत्येक नागरिक एवं प्रत्येक व्यक्ति अपनी आन बान शान पहचान से अनभिज्ञ न रह जाय। केसरिया बल भरने वाला, सादा है सच्चाई। हरा रंग है हरी हमारी धरती की अंगड़ाई। और चक्र कहता है प्रतिफल आगे ……। हमारा यह ध्वज, हमारी संस्कार सभ्यता संस्कृति; हमारी कर्तव्यनिष्ठा नैतिकता मानवता; हमारी समृद्धि गौरव सामर्थ्य; हमारी गत्यात्मकता गतिशीलता अर्थात स्वदेशी को युगानुकूल एवं अदेशी को देशानुकूल बनाने की अनवरत क्रिया का प्रतिबिम्ब है। इसलिये यह ध्वज घर-घर और हाथ-हाथ में होना ही चाहिये। इस अभियान के लिये देश के प्रधानमन्त्री एवं उनकी सम्पूर्ण समिति को बधाई भी और धन्यवाद भी। देश में यह कार्यक्रम आजादी के अमृत महोत्सव या स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अवसर का एक प्रमुख भाग है। यहां हम आजादी एवं स्वाधीनता के भेद तथा अर्थ की चर्चा तथा व्याख्या नहीं करने जा रहे हैं। यहां इन दोनों को सम्यक अर्थ में ग्रहण करना चाहिये, अर्थ भेद पर कभी फिर चर्चा करेंगे; अभी उसका प्रसंग नहीं है। भारत अद्धभुत देश है; यहाँ खुशी को उत्सव या त्यौहार जैसा बनाने की रीति रही है। इसी कारण किसी चीज की पच्चीसवीं सालगिरह को रजत- महोत्सव या जयन्ती; पचासवीं सालगिरह को स्वर्ण- महोत्सव; पचहत्तरवीं सालगिरह को अमृत- महोत्सव एवं सौवीं सालगिरह को कौस्तुभ- महोत्सव के रूप में मनाते हैं।

देश की आजादी की पचहत्तरवीं सालगिरह के अवसर पर मनाये जाने वाले ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ में लोगों की वृहत्तम भागीदारी सुनिश्चित करने व जागरूकता के लिये सरकार तथा सरकार से प्रभावित होकर एवं स्वयं से भी स्वयंसेवी लोगों तथा संगठनों ने इस अनेक नवोन्मेषी कार्यक्रमों की श्रृंखला तैयार किया है; जिससे इस महोत्सव को ‘जनभागीदारी’ और ‘जनान्दोलन’ की भावना के साथ मनाया जा सके। आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष 2022 के 12 मार्च को मोहनदास करमचन्द गाँधी के साबरमती आश्रम से 15 अगस्त 2023 को देश की आजादी की पचहत्तरवीं वर्षगांठ से जुड़ी 75 सप्ताह के कार्यक्रम के अनुसार शुरू किया गया। देश स्वतन्त्रता दिवस की पचहत्तरवीं सालगिरह धूमधाम से इसी कारण मना रहा है। इस बार प्रधानमन्त्री ने इस अवसर से जुड़े एक बयान में कहा कि- ‘भारत की आजादी की पचहत्तरवीं सालगिरह के अवसर पर मनाये जाने वाले ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ में लोगों की वृहद भागीदारी सुनिश्चित करने व जागरूकता के लिये कार्य करना बहुत आवश्यक है। तकनीकि एवं आधुनिक माध्यमों में भी इसकी चहल- पहल को जन- आन्दोलन का हिस्सा बनाने की वृहत्तर योजना है। अपने वीडियो और कार्यक्रम की वीडियो बनानी होगी। यह वीडियो राष्ट्रगान (rashtragan) तथा अमृत – महोत्सव (amritmahotsav) नामक वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी। इसके बाद सर्टिफिकेट मिलेगा। यह सर्टिफिकेट इन्टरनेट मीडिया पर आप अपनी भागीदारी के रूप में साझा कर सकेंगे। हम सबके लिये यह अवसर है कि हम- राष्ट्र, राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत, राष्ट्रनियम (संविधान) के महत्व एवं मूल्य को समझें। हमारे गणतन्त्र की स्वतन्त्रता को आजादी, आत्म-निर्भरता, भाईचारा, आर्थिक व सामाजिक विषमताओं में समरसता तथा राजनीतिक स्वातन्त्रय आदि जैसे शब्दों से समझा जा सकता है।

हम आज आजाद हैं, यह कहने सुनने और महसूस करने में अच्छा लगता है। यदि हम आजाद बनें रहें तो आगे यह और भी अच्छा होगा; लेकिन उससे भी अच्छा होगा यदि हम दूसरों को भी प्रत्येक प्रकार की स्वतन्त्रता प्रदान कर सकें। सही अर्थों में हमारी स्वतन्त्रता या आजादी है, इसका मूल्यांकन कर सकें; हमारी स्वाधीनता, हमारी स्वतन्त्रता बन सके; हम इसके लिये एक सच्चे नागरिक के रूप में कार्य कर सकें। किन्तु हम किसी को भी स्वतन्त्रता के नाम पर स्वक्षन्दता नहीं प्रदान कर सकते, यह भी ध्यान रखें। हमें स्वाधीनता, स्वतन्त्रता, स्वक्षंदता के अर्थ तथा क्रिया भेद को समझना होगा। गरीबी, भ्रष्टाचार, अज्ञानता और अन्धविश्वास से स्वतन्त्रता चाहिये; लेकिन हमें संस्कार, सभ्यता और संस्कृति से स्वतन्त्रता नहीं चाहिये; जिससे हमारी स्वतन्त्रता अमर्यादित होकर स्वक्षन्दता में न बदलने पाये और हम मनुष्योचित कार्य करते रहें। इसी भाव- विचार तथा कार्य-व्यवहार के कारण इस बार आजादी के अमृत-उत्सव में कुछ विशेष देखने को मिल रहा है। जैसा कि आरम्भ में ही इस बात का उत्तर दिया जा चुका है; वास्तव में यह अमृत महोत्सव क्या है? इस बार आजादी का जश्न अमृत महोत्सव के तौर पर क्यों मनाया जा रहा है? वास्तव में यह देशवासियों के लिये पुनरावलोकन का अवसर है; जिसमें हम देश, समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में अपनी भूमिका तय करके आगे बढ़ने की प्रेरणा ले सकते हैं। हमारे लिये यह अवसर प्रदान करता है कि हम देश के आजाद होते समय, आजाद होने के पचहत्तर वर्ष तक तथा आजाद होने के पचहत्तर वर्ष बाद आगे आने वाले समय में देश समाज हेतु क्या कैसे क्यों करने वाले हैं!

देश के प्रधानमन्त्री ने इस महोत्सव का शुभारम्भ करके इसका लाइव प्रसारण शुरू किया था। जैसा कि प्रधानमन्त्री जी ने घोषणा किया कि यह समारोह वर्ष 2023 तक चलेगा। किसी चीज के 75 साल पूरे होने पर या पचहत्तरवीं जयन्ती पर अमृत महोत्सव मनाने के अनेक उदाहरण भारत के सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक इतिहास में उपलब्ध हैं। इस अर्थ में भी आजादी के अमृत- महोत्सव का अतिशय महात्म्य है। इसी क्रम में यह उल्लेखनीय है कि भारत के प्रधानमन्त्री स्वयं रुचि लेकर इस महोत्सव को मनाने में अग्रणी भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं। इस बार भारत की आजादी के पचहत्तरवें सालगिरह को अमृत महोत्सव के तौर पर इसलिये भी मनाया जा रहा है; क्योंकि जैसा कि प्रधानमन्त्री बार- बार यह कहते हैं- ‘भारत का प्रत्येक व्यक्ति या नागरिक भारत को परम- वैभव पर पहुँचाने में स्वयं समर्थ होकर अपना योगदान दे सके, हम इसके लिये संकल्पित हैं और इसी उद्देश्य से कार्य कर रहे हैं।’ इस उद्देश्य के लिये जनजागरूकता पैदा करने और सबका सहयोग लेकर आगे बढ़ने की भी प्रेरणा प्राप्त करने का आह्वान किया गया है। यद्यपि कि, आजादी की पचहत्तरवीं वर्षगाँठ वर्ष 2022 में होगी; लेकिन इसके कार्यक्रम वर्ष 2023 तक चलेंगे अर्थात देश अगले दो साल तक अमृत महोत्सव मनाता रहेगा। सभी जगह अमृत महोत्सव की धूम दिखाई दे रही है। लेकिन इस बात पर विचार जरूर किया जायेगा कि कौन- कौन लोग कैसी और कितनी भागीदारी इस महोत्सव में निभा रहे हैं। यद्यपि कि, बहुत से लोगों की उत्सुकता यह जानने की है कि यह अमृत महोत्सव क्या है और इस बार आजादी का जश्न अमृत महोत्सव के तौर पर क्यों मनाया जा रहा है? ऐसे प्रश्न करने वालों से सतर्क रहने की भी योजना है; क्योंकि ऐसे प्रश्न देश हितैषी नहीं हैं और येसे प्रश्नों का उत्तर भी इस आयोजन में स्वतः निहित हैं।

डॉ कौस्तुभ नारायण मिश्र

युगवार्ता, नई दिल्ली के 16 से 31 अगस्त 2022 के अंक में प्रकाशित।