गुजरात विधानसभा के 2022 के 182 सदस्यों का चुनाव करने के लिये दिसम्बर में चुनाव होना है। चुनाव के बाद बहुमत के लिये कुल 92 सीट चाहिये। पिछले चुनाव में भाजपा गठबन्धन को 49 प्रतिशत मतों के साथ 99 सीटें तथा कांग्रेस गठबन्धन को 41 प्रतिशत सीटों के साथ 77 सीटें प्राप्त हुई थीं। लोग कह रहे थे कि मोदी जी के कारण गुजरात में पुनः भाजपा नीति सरकार बन गयी। यह टिप्पणी तत्कालीन चुनाव पर व्यापक दृष्टिपात नहीं करती है। यदि मोदी जी के ही कारण जीत हुई थी, तो भी क्या मोदी जी की काबिलियत का लाभ कांग्रेस को मिलेगा या मिलना चाहिये? मोदी जी के कारण, भाजपा की जीत तो स्वाभाविक थी। यदि नहीं, तो फिर इस प्रकार की टिप्पणी का औचित्य क्या है। गुजरात की 14वीं विधानसभा का समय 18 फरवरी 2023 को पूर्ण हो रहा है। पिछला चुनाव दिसम्बर 2017 में हुआ था और भारतीय जनता पार्टी ने विजय भाई रूपानी के नेतृत्व में गुजरात में सरकार बनाया था। लेकिन रुपाणी जी ने सितम्बर 2021 में मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया और भूपेन्द्र पटेल मुख्यमंत्री बने थे; वर्तमान चुनाव भूपेन्द्र पटेल जी के ही नेतृत्व में लड़ा जा रहा है। विगत चुनाव के बाद लगभग एक दर्जन उपचुनाव हुए और भाजपा ने सबमें जीत दर्ज किया और इस प्रकार गुजरात में भाजपा के कुल विधायकों की वर्तमान संख्या 112 है। आशय यह है कि भाजपा का इस चुनाव का लक्ष्य 112 के आंकड़े को पार करने का और विपक्ष का लक्ष्य, भाजपा को 92 के आंकड़े तक न पहुंचने देने का है और रहेगा; इसलिये आशय यह भी है कि, भाजपा अपनी स्थिति बनाये रखने या और मजबूत करने की दृष्टि से चुनाव लड़ रही है और विपक्ष भाजपा के पीछे दौड़ लगाने के लिये। विपक्ष की राजनीति का यह नकारात्मक पक्ष है। सकारात्मक लक्ष्य के लिये, नकारात्मक मार्ग का औचित्य ही आज विपक्ष की राजनीति के असफलता की सारी कहानी कह देता है।
स्थानीय निकाय के 2021 के हुए गुजरात चुनाव में, जहां पिछले चुनावों की तुलना में भाजपा को काफी फायदा हुआ और आम आदमी पार्टी ने भी अपनी उपस्थिति, कांग्रेस की कीमत पर दर्ज करायी और आप, कांग्रेस के विकल्प के रूप में उभरी। एक तरफ भाजपा ने अपनी ताकत और बढ़ाई और दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस की नींव हिलाकर महत्वपूर्ण पैठ बनाई। इसको गुजरात में आम आदमी पार्टी को किसी दावेदार के रूप में नहीं, भविष्य में कांग्रेस के स्थानापन्न विपक्ष के रूप में देखा जा रहा है और यहीं तक देखा भी जाना चाहिये। गुजरात में 2017 में, किसान और पाटीदार आन्दोलन के कारण सौराष्ट्र के कुछ भागों में भाजपा का नुकसान हुआ, विशेष रूप से अमरेली और गिर सोमनाथ में; किन्तु जब अन्य जिलों के साथ हुए पंचायत चुनाव में भाजपा ने अमरेली के सभी पांच विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त के साथ दो तिहाई बहुमत हासिल किया तो, आधारहीन आंकलन करने वालों की नींद स्वप्नलीला में बदल गये। गांधीनगर नगर निगम चुनावों में, भाजपा ने 44 में से 41 वार्ड जीतकर ऐतिहासिक बहुमत हासिल किया और वोट शेयर के मामले में आप तीसरी पार्टी बनी; जिसने आप की तीसरे विकल्प के रूप में बढ़ती स्वीकृति का संकेत दिया और पुनः प्रमाणित हुआ कि, आम आदमी पार्टी, कांग्रेस की कीमत पर ही अपना अस्तित्व बना रही है। कांग्रेस ने भी किसानों का तीन लाख तक का कर्ज माफ करने और कृषि सम्बन्धी बिजली बिल माफ करने का वादा किया। दुग्ध उत्पादकों को पांच रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी, केन्द्र सरकार पर कृषि उपकरणों, उर्वरकों, बीजों और कीटनाशकों पर जीएसटी खत्म करने का दबाव। वर्तमान भूमि सर्वेक्षण को रद्द करना तथा नवीन भूमि सर्वेक्षण का संचालन करने का उद्देश्य रखा है।
हेड क्लर्क की भर्ती के लिये लिखित परीक्षा गुजरात में 12 दिसम्बर 2021 को आयोजित की गई थी, जिसमें लगभग 200 रिक्तियों के लिये लगभग 90000 उम्मीदवारों ने भाग लिया था। यह परीक्षा गुजरात अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (जीएसएसएसबी) द्वारा आयोजित की गई थी। आप ने आरोप लगाया था कि परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र लीककर भाजपा के लोगों द्वारा रुपये वसूला गया था। बाद में गुजरात सरकार ने परीक्षा को रद्द कर दिया और मार्च 2022 में निर्धारित पुन: परीक्षा कराई। यह आरोप भी अन्ततः आधारहीन ही प्रमाणित हुए। आम आदमी पार्टी, भाजपा को लेकर अनेक तरह के सगूफे छोड़ती है। ऐसा ही आधारहीन सगूफा ड्रग्स, अफगानिस्तान, मुंद्रा पोर्ट और गौतम अडानी को लेकर फैलाया गया। इसी का अनुकरण करते हुए कांग्रेस ने सितम्बर 2021 में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार की चुप्पी पर आलोचना की और सुप्रीम कोर्ट से एक जांच शुरू करने का आग्रह किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि ‘एक ड्रग सिंडिकेट बंदरगाह से संचालित हो रहा था। आरोप में कहा गया कि, ड्रग्स अफगानिस्तान से मंगवाये गये थे, यह कहते हुए कि इन दवाओं की अवैध बिक्री का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकवादियों द्वारा किया जा सकता है।’ यद्यपि इस प्रकार के आरोप न स्थापित हुये और न ही प्रमाणित और इस कारण इस प्रकार की चीजों से आप और कांग्रेस पार्टी ने अपना ही नुकसान किया। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस द्वारा गुजरात में कृषि, कुपोषण, शिक्षा, मंहगाई, बिजली और बेरोजगारी आदि को लेकर भी जो आरोप लगाये या मुद्दे चुनाव आदि की दृष्टि से बनाये गये, वे भी जनता में दशमलव स्थान भी नहीं पा सके। इतना ही नहीं, भाजपा से घृणा करने की फूहड़ प्रवृत्ति के कारण, कांग्रेस अनायास ही आप के साथ खड़ी हो जाती है और अपना नुकसान करती चली जा रही है। आप, इसका कितना लाभ उठा पायेगी, यह तो समय ही बतायेगा; लेकिन एक बात तो तय है, कांग्रेस अपने नकारात्मकता का नुकसान यदि उठा रही है तो आप, उसी नकारात्मकता के कारण कब तक लाभ में रह सकती है?
आम आदमी पार्टी ने दो अप्रैल को पदयात्रा के साथ गुजरात के लिये अपना चुनाव अभियान शुरू किया था। आप ने विधानसभा चुनाव के लिये भारतीय आदिवासी पार्टी के साथ असफल गठबन्धन भी किया। की घोषणा की। आप ने उत्तरी गुजरात के तीन जिलों पाटन, साबरकांठा और बनासकांठा में रोजगार गारंटी यात्रा की घोषणा की है। सौराष्ट्र क्षेत्र में, पार्टी ने दो लाख रुपये की ऋण माफी, उच्च एमएसपी, सिंचाई के लिये न्यूनतम 12 घंटे बिजली की आपूर्ति और किसानों को फसल के नुकसान की स्थिति में मुआवजे की घोषणा किया है। सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा; निःशुल्क और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सुविधाऐं। केजरीवाल ने की स्वास्थ्य सेवा के लिये पांच गारंटी की घोषणा किया है। आप ने सत्ता में आने पर 15 लाख सरकारी नौकरी और रुपया 3000 मासिक बेरोजगारी भत्ता, नौकरी मिलने तक 3000 रुपये बेरोजगारी लाभ देने का वादा किया है। महिलाओं के लिये एक हजार रुपये मासिक भत्ता का वादा किया था। आप शासित दिल्ली और पंजाब के समान हर महीने हर ग्राहक को 300 यूनिट मुफ्त बिजली का वायदा है। आम आदमी पार्टी ने अपने चुनाव अभियान के दौरान पैम्फलेट वितरित किये हैं और बचत की एक सूची के साथ एक काल्पनिक बचत आंकड़ा सूची जारी किया कि, प्रति परिवार पांच वर्षों में लगभग रुपया 11 लाख की बचत करेगा। यह बचत सब्सिडी वाली बिजली से, बच्चों की वार्षिक स्कूल फीस से, स्वास्थ्य लाभ से, वृद्ध व्यक्तियों के लिये मुफ्त तीर्थ यात्रा से, बेरोजगार युवाओं को प्राप्त भत्ता से आदि से होगा। तात्पर्य यह कि कांग्रेस की स्थानापन्न हो रही आम आदमी पार्टी, ने आपने घोषणा पत्र में बाकायदा मुफ्तखोरी, जमाखोरी, रिश्वतखोरी, मुनाफाखोरी का व्यापक इंतजाम किया है। किसी लोककल्याण राज्य में शासक का यह तो कर्तव्य है कि किसी विपदा में, किसी अकाल में, किसी प्राकृतिक आपदा आदि में नागरिक समाज के लिये खजाने से आधारभूत व्यवस्था करे; लेकिन किसी भी समाज या देश में यदि कोई सत्ताधीश या सत्ताकांक्षी, जनता को अकारण मुफ्तखोरी के वशीभूत करता है तो, वह जनता के द्वारा वहिष्कृत और अस्वीकृत किया जाना चाहिये। क्योंकि मुफ्तखोरी, अकर्मण्यता को; अकर्मण्यता, जमाखोरी और रिश्वतखोरी को और ये सभी मिलकर मुफ्तमुनाफाखोरी को बढ़ावा देते हैं। आप और कांग्रेस को इस दृष्टि से गुजरात के लोगों की प्रकृति को भी समझना चाहिये; अन्यथा औंधे मुंह गिरेंगे।
डॉ कौस्तुभ नारायण मिश्र
प्रोफेसर एवं स्तंभकार
युगवार्ता, नयी दिल्ली के 16 से 30 नवम्बर 2022 के अंक में प्रकाशित।
