यह विषय महत्वपूर्ण इसलिये हो गया है कि, आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद इस तरह की ताकतों को अब पुनः बल मिलने लगा है। खालिस्तानी अमृतपाल सिंह का नया वीडियो सामने आया है। दिल्ली के मधु विहार में और अनेक जगहों पर सड़कों पर बिना पगड़ी पहले मास्क लगाकर घूमता हुआ दिखाई पड़ रहा है। पैदल चल रहे अमृतपाल के सिर पर पगड़ी नहीं दिखी; लेकिन उसके लम्बे – लम्बे खुले बाल दिख रहे थे। उसके बाद की खबर है कि अमृतपाल नेपाल पहुंच गया है, जिसको पकड़ने के लिये भारत सरकार ने नेपाल सरकार से कहा है। ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख अमृतपाल लोगों को अभी तक चकमा देने में सफल रहा है। वह पंजाब पुलिस के हाथ से बचकर निकल गया है और अब अलग-अलग जगहों से उसकी तस्वीरें आ रही हैं। इंटेलीजेंस एजेंसियों ने दावा किया है कि, अमृतपाल के पाकिस्तानी लिंक का सबूत हाथ लगा है। आईएसआई और विदेशों में बैठे खालिस्तानी आतंकियों की शह पर भारत विरोधी एजेण्डे को हवा देने का अभियान पुनः शुरू हुआ प्रतीत होता है। वह पहले दुबई में नौकरी करता था और अचानक सब छोड़कर भारत लौट आया। यहाँ उसने कुछ समर्थक भी जुटाये। उसी में से एक दलजीत कलसी का पाकिस्तान के पूर्व आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा के बेटे के साथ करीबी सम्बन्ध रहे हैं। न्यूज वेबसाइट एनडीटीवी ने सूत्रों ने के हवाले से खबर दिया कि कलसी अमृतपाल का वित्तीय सहयोगी है। वह दुबई की कम्पनी ‘साद’ के माध्यम से बाजवा से जुड़ा था। कलसी दो महीने के लिये विगत दिनों दुबई भी गया था और दुबई में उसके रहने की व्यवस्था खालिस्तानी आतंकी लंदा हरीके ने किया था। सूत्रों के मुताबिक, दलजीत कलसी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के निकट सम्पर्क में था। ट्रक ड्राइवर से खालिस्तानी आतंकी बनने वाले अमृतपाल अर्थात ‘भिंडारावाले-2’ की कहानी अजीब है। जिसकी अलग से चर्चा की आवश्यकता है।
इससे पहले अलगाववादी अमृतपाल सिंह का एक नया वीडियो मंगलवार को सोशल मीडिया पर सामने आया था। इसमें वह अपने प्रमुख सहयोगी पपलप्रीत सिंह के साथ दिख रहा है। इसमें भगोड़ा अमृतपाल काला चश्मा पहने सड़क पर चलते हुए दिख रहा है, जबकि पपलप्रीत सिंह एक बैग के साथ उसके पीछे चलते दिख रहा है। बीते 18 मार्च को अमृतपाल और उसके संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई शुरू होने के बाद से उसकी कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आये हैं। पुलिस ने कहा कि वह कई बार अपना हुलिया बदल चुका है। पुलिस ने यह भी कहा था कि अमृतपाल सिंह और पपलप्रीत सिंह को 19 मार्च को हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के शाहाबाद में एक महिला ने कथित तौर पर अपने घर में शरण दी थी। पच्चीस मार्च को, एक सीसीटीवी फुटेज सामने आया था, जिसमें वह मोबाइल फोन पर बात करते हुए दिखा था। अमृतपाल और उसके सहयोगियों के खिलाफ वैमनस्य फैलाने, हत्या के प्रयास, पुलिसकर्मियों पर हमले और लोकसेवकों के कर्तव्य निर्वहन में बाधा उत्पन्न करने से सम्बन्धित कई आपराधिक आरोपों के तहत मामले दर्ज किये गये हैं। पुलिस ने उनमें से कुछ पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून भी लगाया है। पंजाब पुलिस ने रविवार को कहा कि उसने सावधानी हेतु हिरासत में लिये गये 353 लोगों में से 197 लोगों को रिहा कर दिया है। एस जी पी सी, बादल परिवार के पक्ष में काम कर रही है; इस आरोप को लेकर आगे बढ़ने वाली भगवंत मान सरकार के समीकरण और भगवंत मान सरकार द्वारा पंजाब- हरियाणा उच्च न्यायालय में यह कहना कि, ‘किसी भी दशा में अमृतपाल गिरफ्तार कर लिया जायेगा।’ उनकी जिम्मेदारी को कम नहीं कर रहा है। वर्तमान समय में अमृतपाल के प्रकरण के बाद यह भी प्रश्न खड़े होने लगे हैं कि, ऑपरेशन ब्लू स्टार के समय अकाल तख्त का पक्ष क्या था? यह भी आज विचारणीय प्रश्न बन गया है।
इस बीच गृह मन्त्रालय ने सभी सुरक्षा एजेंसियों को नेपाल-भारत सीमा क्षेत्र में ‘हाई अलर्ट’ पर रहने का निर्देश दिया है। खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह के खिलाफ पंजाब पुलिस का ऑपरेशन जारी है; लेकिन सफलता न मिलना सवाल उत्पन्न करता है। इस बीच भारत सरकार ने नेपाल से कहा है कि उसके भारतीय पासपोर्ट या किसी अन्य फर्जी पासपोर्ट का इस्तेमाल कर भागने की कोशिश करने पर उसे गिरफ्तार कर लिया जाय। उसे किसी तीसरे देश में भागने की अनुमति न दी जाय। ‘काठमाण्डू पोस्ट’ अखबार ने 27 मार्च को प्रकाशित रिपोर्ट में यह दावा किया। काठमाण्डू स्थित भारतीय दूतावास ने 25 मार्च को वाणिज्य सेवा विभाग को एक पत्र भेजकर यहाँ की सभी सरकारी एजेंसियों से अनुरोध किया है कि यदि अमृतपाल नेपाल से भागने की कोशिश करता है, तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाय। अखबार ने कई स्रोतों का हवाला देते हुए कहा कि पत्र और अमृतपाल के व्यक्तिगत विवरण को होटल से लेकर एयरलाइंस तक सभी सम्बन्धित एजेन्सियों को भेज दिया गया है। माना जाता है कि उसके पास अलग- अलग पहचान वाले कई पासपोर्ट हैं। पंजाब पुलिस ने 18 मार्च को अमृतपाल के खिलाफ कार्रवाई शुरू किया था, तभी से वह भागा हुआ है। कट्टरपन्थी अलगाववादी अमृतपाल ने पुलिस को भी चकमा दे दिया और पंजाब के जालन्धर जिले में उसके काफिले को रोके जाने के बावजूद वह पुलिस के जाल से बच निकलने में कामयाब रहा है।
अमेरिका के टाइम्स स्क्वायर पर खालिस्तान समर्थकों ने प्रदर्शन किया और अमृतपाल के समर्थन में नारेबाजी भी किया। विदेशों में भी इस तरह का वातावरण फैलाना अनेक प्रकार के प्रश्न खड़ा करता है। ट्रक ड्राइवर से 6 माह में अमृतपाल कैसे बना ‘भिण्डरावाले- 2’; यह बहुत ही रोचक दास्तान है। भारत आने से पहले अमृतपाल सिंह 2022 तक दुबई में एक ट्रक ड्राइवर था; वह दीप सिद्धू के संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख बनने के लिये भारत आया था। फिर उन्होंने खुद को भिण्डरावाले की तरह पेश किया और उनके समर्थक उन्हें भिण्डरावाले- 2 कहने लगे थे। वह खुद को कट्टपन्थी सिख नेता पेश करने की कोशिश गत छह महीनों से कर रहा था। जबकि जाँच में सामने आया है कि वह आलीशान जीवन जी रहा था। इतना ही नहीं वह लगातार थाइलैण्ड आता जाता रहता था। मतलब कि उसका दोहरा जीवन था। कुछ समय पहले फरवरी में उसकी शादी यूके निवासी किरणदीप कौर से हुई थी, जिसकी वह पिटाई करता था; उस पर सन्देह करता था और उसे अपने घर से नहीं निकलने देता था। जबकि खुद दूसरे स्त्रियों के सम्पर्क में रहता था। शादी के बाद आजतक किसी ने उसकी फोटो नहीं देखी है। वहीं, यह भी बात सामने आई है कि वह अपनी छवि को नुकसान पहुँचाने के डर से अपने पिछले जीवन के बारे में कोई बात नहीं करता था। जाँच से यह भी पता चला है कि उसके सम्बन्ध नशा तस्करों से रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वह एक डीलर जसवन्त सिंह के सम्पर्क में आया, जिसका भाई पाकिस्तान से ही सारा कारोबार चलाता है। अब इस प्रश्न का उत्तर जरूरी है कि, उड़ता पंजाब से उसका कैसा और किस प्रकार का सम्बन्ध था, जिस भरोसे पर वहाँ की वर्तमान सरकार है।
पंजाब में खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के संगठन वारिस पंजाब को मजबूत कर खालिस्तान का खाका खींचने का पूरा षड्यंत्र अमृतसर के गांव मरड़ी कलां के पपलप्रीत ने रचा था। बीते 18 मार्च के बाद अमृतपाल को फरार करवाने में भी उसकी मुख्य भूमिका है। पपलप्रीत हमेशा से विवादों में रहा है। बब्बर खालसा समेत कई खालिस्तान समर्थक संगठनों से उसका सम्बन्ध रहा है। उसके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह पान्थिक मामलों की अच्छी जानकारी रखता है। देश-विदेश में खालिस्तान समर्थक कई समूहों और नेताओं से पपलप्रीत के नजदीकी संबंध हैं। खालिस्तान का प्रचार करने वाले मीडिया में उसकी अच्छी पैठ है। पुलिस ने उसको शमशीर-ए-दस्त नाम की एक पत्रिका में बब्बर खालसा की रिपोर्ट प्रकाशित करने पर गिरफ्तार किया गया था। उसके लैपटॉप में पत्रिका का सारा रिकार्ड था। वह खालिस्तान समर्थक पत्रिका फतेहनामा के लिये भी आतंकवादियों के समर्थन में लेख लिखता रहा है। दमदमी टकसाल के तीन प्रमुख ग्रुपों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ भी पपलप्रीत की काफी निकटता है। शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के यूके विंग के हस्तक्षेप से उसे युवा विंग के चीफ आर्गेनाइजर की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। इसके बाद उसने सिख यूथ फ्रण्ट को भंगकर शिअद (अमृतसर) में मिला दिया था। इसके बाद नेवर फॉरगेट 84 वेवसाइट के लिये काम करता रहा। पीड़ित परिवारों के फोटो व आर्टिकल लिखता रहा। इसके बाद उसने विदेश से चल रहे आवाज-ए-कौम पोर्टल और ई पेपर के लिये भी उसने काम करना शुरू कर दिया। बाद में भिण्डरावाले के परिवार के साथ मिलकर मीडिया का काम संभालता रहा। वर्ष 2015 में जेल में बंद आतंकवादी नारायण सिंह चौड़ा का बयान पप्पलप्रीत सिंह ने सरबत खालसा के दौरान स्टेज से पढ़ा था। तथ्य है कि खालिस्तान कि माँग कांग्रेस इन्दिरा की देन थी; उसी के कारण इन्दिरा जी चली गयीं और उसी के कारण 1984 के दंगे हुए और जिसकी आग अब भी येसे ही लोगों द्वारा पुनः सुलगायी जाती हुई दिखायी पड़ रही है। सवाल है कि देश में अलगाववाद के लिये कुख्यात लोगों से ध्यान हटाने के लिये अमृतपाल सम्बन्धी खेल रचा गया है; जिससे वर्तमान केन्द्र सरकार अस्थिर हो अथवा पुरानी आग को सुलगाकर पुनः केन्द्र सरकार को अस्थिर करने की साजिश है? समय से प्रश्न का ठीक- ठीक उत्तर जानना और उसका स्थायी समाधान जरूरी है। बीते दिनों वर्तमान प्रधानमन्त्री जी के पंजाब दौरे और तत्कालीन चरनी सरकार के गैरजिम्मेदारी पूर्ण व्यवहार को क्या इसकी पृष्ठभूमि के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिये?
युगवार्ता, नई दिल्ली के अप्रैल एक 2023 के अंक में प्रकाशित लेख।
डॉ कौस्तुभ नारायण मिश्र
प्रोफेसर एवं स्तम्भकार
